Environmental Issues: भारत और विश्व की बड़ी चिंता
Environmental Issues यह विषय RRB NTPC परीक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
RRB NTPC पाठ्यक्रम में सामान्य जागरूकता पर जोर दिया गया है, और पर्यावरण संबंधी विषय अक्सर इस खंड में पूछे जाते हैं। प्रश्न निम्नलिखित पर आधारित हो सकते हैं:
- वर्तमान पर्यावरणीय मुद्दे
- भारत और वैश्विक पर्यावरण नीतियाँ
- जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग
- संरक्षण प्रयास और अधिनियम
परिचय
आज की तेजी से बदलती दुनिया में, पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रभावों को नजरअंदाज करना असंभव हो गया है। ये मुद्दे पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्थाओं, समाजों और पारिस्थितिक तंत्रों को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। भारत के घने शहरों से लेकर विभिन्न महाद्वीपों के विशाल भूदृश्यों तक, पर्यावरण संबंधी समस्याएं प्रकृति के साथ हमारे संबंधों पर पुनर्विचार करने की मांग करती हैं। यह न केवल अतीत की प्रथाओं का प्रतिबिंब है बल्कि भविष्य की संभावनाओं की ओर भी इशारा करता है। उदाहरण के लिए, 2021 में भारत ने अब तक के कुछ सबसे अधिक तापमान का सामना किया, जबकि साथ ही बाढ़ से हजारों लोग विस्थापित हुए। ये विपरीत परिस्थितियां दीर्घकालिक स्थिरता के लिए मजबूत रणनीतियों की आवश्यकता को उजागर करती हैं। इस वैश्विक कथा को समझकर और इन चुनौतियों का सामना करके ही हम एक संतुलित और सामंजस्यपूर्ण दुनिया की ओर बढ़ सकते हैं।
वातावरण में फैला ज़हर, घटती हरियाली, सूखती नदियाँ और बढ़ता तापमान सिर्फ आँकड़ों की कहानी नहीं, हमारी रोजमर्रा की जिंदगी की हकीकत है। कभी सोचिए, जब आसमान हमेशा धुंधला रहे, पीने के लिए साफ़ पानी न मिले, और जंगलों की जगह कंक्रीट की दीवारें उग आएं, तो हमारी दुनिया कैसी लगेगी? पर्यावरणीय समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। जागरूकता और छोटे-छोटे बदलाव ही बड़े हल का रास्ता हो सकते हैं।
भारत में Environmental Issues : बढ़ती चुनौतियाँ
भारत दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में शामिल है। यहाँ पर्यावरणीय समस्याएँ कई रूपों में मौजूद हैं जिनका सीधा असर समाज, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। Environmental Issues
- वायु प्रदूषण: दिल्ली, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद जैसे शहर एयर क्वालिटी रैंकिंग में सबसे ऊपर रहते हैं, और यही स्थिति कई अन्य मेट्रो क्षेत्रों की भी है।
- जल प्रदूषण: गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियाँ जहरीले पानी और गंदगी का घर बन चुकी हैं।
- वन क्षेत्र में गिरावट: वन्य क्षेत्र 21.7% है, जबकि आदर्श स्थिति 33% होनी चाहिए।
- कचरा प्रबंधन: भारत हर रोज़ करीब 1.5 लाख टन ठोस कचरा पैदा करता है।
- जल संकट: देश के 54% इलाके जलसंकटग्रस्त हैं। गर्मियों में कई गाँवों में टैंकर से भी पानी मुश्किल से पहुँचता है।
जीवाश्म ईंधन से ग्लोबल वार्मिंग ‘Environmental Issues’
2024 को अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित किया गया है, जिसमें वैश्विक औसत तापमान 2023 की तुलना में 0.12°C अधिक रहा। यह तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.60°C अधिक है, जो पहली बार 1.5°C की सीमा को पार कर गया है। पिछले दस वर्षों (2015-2024) में से प्रत्येक वर्ष अब तक के सबसे गर्म वर्षों में शामिल रहा है।
ग्रीनहाउस गैसों (GHG) की सांद्रता भी अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है। कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसों के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, जो सूर्य की गर्मी को फंसाकर पृथ्वी को गर्म कर रही हैं।
कोयला, प्राकृतिक गैस और तेल का दहन GHG उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके कारण आस्ट्रेलिया और अमेरिका में भीषण जंगल की आग, अफ्रीका और एशिया में टिड्डियों का हमला, और अंटार्कटिका में 20°C से अधिक तापमान जैसी घटनाएं देखी गई हैं।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पृथ्वी कई टिपिंग पॉइंट्स पार कर चुकी है, जैसे आर्कटिक में पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर का तेजी से पिघलना, और अमेज़न वर्षावनों में वनों की कटाई। जलवायु संकट के कारण तूफान, गर्मी की लहरें और बाढ़ जैसी घटनाएं अधिक तीव्र और बार-बार हो रही हैं
जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता ‘Environmental Issues’
अर्थशास्त्री निकोलस स्टर्न के अनुसार, जलवायु संकट कई बाजार विफलताओं का परिणाम है। कार्बन कर जैसी नीतियों से कम कार्बन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा मिल सकता है। स्वीडन में कार्बन कर सफल रहा है, जहां 1995 से उत्सर्जन में 25% की कमी आई है।
हालांकि, पेरिस समझौते जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौते स्वैच्छिक हैं और इनका पालन न करने पर कोई सजा नहीं है।
खाद्य बर्बादी Environmental Issues
मानव उपभोग के लिए उत्पादित भोजन का एक तिहाई (लगभग 1.3 अरब टन) बर्बाद हो जाता है। यदि खाद्य बर्बादी को एक देश माना जाए, तो यह चीन और अमेरिका के बाद तीसरा सबसे बड़ा GHG उत्सर्जक होगा। विकसित देशों में खुदरा स्तर पर 40% भोजन इसलिए बर्बाद होता है क्योंकि वह “बदसूरत” दिखता है।
वायु प्रदूषण : साँस लेना भी मुश्किल
IQAir की 2024 रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 24 भारत के हैं। इसमें दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, पटना सबसे ऊपर हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल 4.2 से 7 मिलियन लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं। दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण जीवन प्रत्याशा को 5 साल तक कम कर देता है। यूरोप में 2021 में 500,000 से अधिक लोगों की मौत प्रदूषण के कारण हुई Environmental Issues
प्रमुख कारण
- गाड़ियों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोत्तरी
- औद्योगिक अपशिष्ट
- खेतों में पराली जलाना
PM2.5 व PM10 का खतरा
- WHO मानकों से कहीं ज्यादा स्तर दर्ज किए जा रहे हैं।
- इन सूक्ष्म कणों का शरीर में प्रवेश सीधे सांस व खून को प्रभावित करता है।
सीधे असर
- अस्थमा, एलर्जी, फेफड़ों के कैंसर का जोखिम
- बच्चों और बुज़ुर्गों पर खासा असर दिखता है
जल प्रदूषण और घटती जल उपलब्धता
गंगा और यमुना जैसी नदियां अपने जीवनदायिनी स्वरूप से दूर हो रही हैं। इंडस्ट्रियल व घरेलू कचरा बिना शुद्धिकरण के नदियों में बहाया जाता है। ‘नमामि गंगे’ जैसी योजनाएँ शुरू हुई, पर चुनौतियाँ बनी हुई हैं। Environmental Issues
जल की कमी के प्रमुख कारण
- बारिश की अनियमितता और जलवायु परिवर्तन
- भूजल का अत्यधिक दोहन
- शहरीकरण के चलते जल स्रोतों पर अत्यधिक दबाव
भारत का सच
- 100 से अधिक बड़े शहर गंभीर जल संकट के दायरे में हैं
- ग्रामीण इलाकों में साफ पानी की उपलब्धता कम
महासागरों का अम्लीकरण Environmental Issues
महासागर वायुमंडल से 30% कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं। अम्लीकरण के कारण प्रवाल भित्तियों (कोरल रीफ्स) को नुकसान पहुंच रहा है, और 2050 तक ये पूरी तरह खत्म हो सकती हैं।
वनों की कटाई और जैव विविधता संकट Environmental Issues
हर घंटे 300 फुटबॉल मैदानों के बराबर जंगल काटे जाते हैं। ब्राजील, कांगो और इंडोनेशिया में सबसे अधिक वनों की कटाई हो रही है। अमेज़न वर्षावन, जो 40% दक्षिण अमेरिका को कवर करता है, भी खतरे में है। कृषि वनों की कटाई का प्रमुख कारण है।
वनों का कम होना न सिर्फ पर्यावरण, बल्कि जैव विविधता के लिए भी बड़ी समस्या बना है। क्षयरोग की तरह कटती हरियाली हजारों वन्य जीवों-वनस्पतियों के लिए खतरा बन गई है।
आँकड़े बताते हैं:
- भारत का कुल वन क्षेत्र सिर्फ 21.7% (2024)
- हर साल लाखों पेड़ कटते हैं – कभी सड़कें चौड़ी करने के नाम पर, कभी विकास की आड़ में
प्रभाव
- बाघ, हाथी, गैंडे सहित कई प्रजातियाँ संकट में हैं
- पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ रहा है
परंपरागत उपायों की अहमियत
- लोकल समुदायों की भागीदारी और पारंपरिक संरक्षण पद्धतियाँ अब भी असरदार साबित हो रही हैं
वैश्विक पर्यावरण संकट : साझा समस्याएँ, साझा समाधान
दुनिया एक परिवार है, लेकिन संकट भी साझा हैं। वैश्विक घटनाएँ सीधे भारत को भी प्रभावित करती हैं। Environmental Issues
- जलवायु परिवर्तन: वैश्विक तापमान औसतन 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है
- ओजोन क्षरण: सूर्य की हानिकारक किरणें बढ़ती जा रही हैं
- कचरा संकट: हर साल करोड़ों टन प्लास्टिक कचरा समुद्रों में डंप होता है
- ऊर्जा संसाधनों की खपत: जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक दोहन
जैव विविधता की हानि Environmental Issues
1970 से 2016 के बीच स्तनधारियों, मछलियों, पक्षियों और अन्य जीवों की आबादी में औसतन 68% की कमी आई है। वनों की कटाई और अवैध वन्यजीव व्यापार इसके प्रमुख कारण हैं। 2021 के एक अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी पर छठी बार जीवों का सामूहिक विलोपन हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन : धरती का बदलता भविष्य
ग्लोबल वार्मिंग के असर अब साफ दिखने लगे हैं।
- तटीय इलाकों में समुद्र स्तर बढ़ रहा है, जिससे बाढ़ का खतरा है
- सूखे और बेमौसम बारिश से फसलें प्रभावित हो रही हैं
- हिमालयी ग्लेशियर पिघल रहे, इससे पानी की उपलब्धता घट रही है Environmental Issues
बर्फ की चादरों का पिघलना और समुद्र स्तर में वृद्धि
आर्कटिक, वैश्विक औसत से दोगुनी तेजी से गर्म हो रहा है। समुद्र का स्तर प्रति वर्ष 3.2 मिमी बढ़ रहा है और 2100 तक 0.7 मीटर तक बढ़ सकता है। ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के पिघलने से समुद्र स्तर में 6 मीटर की वृद्धि हो सकती है। अंटार्कटिका ने 1997 से 7.5 ट्रिलियन टन बर्फ खो दी है।
वैज्ञानिक चेतावनियों को नज़रअंदाज करना अब आत्मघाती है। Environmental Issues
प्रदूषण और कचरा संकट
1950 में दुनिया में 2 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता था, जो 2015 में बढ़कर 419 मिलियन टन हो गया। हर साल 14 मिलियन टन प्लास्टिक समुद्र में पहुंचता है। 91% प्लास्टिक रिसाइकल नहीं होता है, और यह 400 साल तक विघटित नहीं होता है। 2022 में संयुक्त राष्ट्र ने प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि का प्रस्ताव रखा, लेकिन 2024 तक कोई समझौता नहीं हो सका।
प्लास्टिक का जाल
- दुनिया भर में हर साल 40 करोड़ टन प्लास्टिक बनता है, जिसमें से सिर्फ 9% ही रिसायक्ल होता है।
- समुद्रों में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक मछलियों और मानव स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है। Environmental Issues
औद्योगिक प्रदूषण
- हर साल लाखों टन हानिकारक रसायन बिना शुद्धि के नदियों व झीलों में जाते हैं।
- कई शहरों की हवा में धातुएँ, रसायन और जहरीली गैसें स्वीकृत सीमा से ज्यादा पाई जाती हैं। Environmental Issues
रिसायक्लिंग की कोशिशें
- यूरोप और जापान जैसे देश कचरा रिसायक्लिंग में अग्रणी हैं, भारत भी अब इस दिशा में आगे बढ़ रहा है Environmental Issues
कृषि
वैश्विक खाद्य प्रणाली मानवजनित GHG उत्सर्जन का एक तिहाई हिस्सा है। पशुधन और मत्स्य पालन इसका प्रमुख स्रोत हैं। कृषि के लिए 60% भूमि उपयोग में है, लेकिन यह मीठे पानी का 75% उपभोग करती है। Environmental Issues
मृदा अवक्रमण
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व की 40% मिट्टी खराब हो चुकी है। यदि वर्तमान प्रथाएं जारी रहीं, तो 2050 तक दक्षिण अमेरिका के आकार के बराबर भूमि और खराब हो जाएगी।
खाद्य और जल असुरक्षा
प्रति वर्ष 68 बिलियन टन मिट्टी का कटाव होता है। 2050 तक वैश्विक खाद्य मांग 70% बढ़ सकती है। वर्तमान में 820 मिलियन लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है। 2025 तक दुनिया की दो-तिहाई आबादी को पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है। Environmental Issues
फास्ट फैशन और कपड़ा कचरा
फैशन उद्योग वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का 10% है। हर साल 92 मिलियन टन कपड़ा कचरा उत्पन्न होता है, जो 2030 तक 134 मिलियन टन तक पहुंच सकता है। चिली के अटाकामा रेगिस्तान में हर साल लाखों टन कपड़े फेंके जाते हैं। Environmental Issues
अत्यधिक मत्स्य पालन
दुनिया की 12% आबादी मछली पालन पर निर्भर है। वाणिज्यिक मत्स्य पालन का 30% हिस्सा अत्यधिक शोषण का शिकार है। 2022 में विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने अत्यधिक मत्स्य पालन को रोकने के लिए सब्सिडी पर प्रतिबंध लगाया।
कोबाल्ट खनन
इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बैटरियों में कोबाल्ट एक प्रमुख घटक है। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) दुनिया का सबसे बड़ा कोबाल्ट आपूर्तिकर्ता है, लेकिन यहां खनन के दौरान श्रमिक शोषण और पर्यावरणीय क्षति जैसी समस्याएं हैं।
अंतरराष्ट्रीय पहल और भारत की भूमिका Environmental Issues
भारत का बढ़ता नेतृत्व
- ‘वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड’ – सौर ऊर्जा साझा करने की अनूठी पहल
- G20 और COP29 सम्मेलनों में पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखा गया
- ‘LiFE Movement’ (Lifestyle for Environment) : छोटे-छोटे बदलाव बड़ी असरदार क्रांति की ओर! Environmental Issues
अंतरराष्ट्रीय संवाद
- संयुक्त राष्ट्र का ‘पर्यावरण दिवस’
- पेरिस एग्रीमेंट के तहत उत्सर्जन घटाने का संकल्प
✅ पर्यावरणीय मुद्दों पर RRB NTPC परीक्षा के लिए सबसे संभावित प्रश्न (FAQs) – हिंदी में
🌍 सामान्य पर्यावरणीय जागरूकता
1. जलवायु परिवर्तन क्या है?
यह पृथ्वी की जलवायु प्रणाली में दीर्घकालिक परिवर्तन हैं जैसे तापमान, वर्षा और हवा के पैटर्न में बदलाव।
2. ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण क्या है?
कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), मीथेन (CH₄), और नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) जैसे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन।
3. ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है?
वह प्रक्रिया जिसमें ग्रीनहाउस गैसें पृथ्वी की सतह से निकलने वाली ऊष्मा को रोक कर वातावरण को गर्म करती हैं।
4. ओज़ोन परत में छेद क्यों हो रहा है? Environmental Issues
यह क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) और अन्य हानिकारक रसायनों के कारण होता है।
5. ओज़ोन परत के क्षरण के लिए मुख्य रूप से कौन सी गैस जिम्मेदार है?
क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs)।
🇮🇳 भारत में पर्यावरणीय समस्याएँ
6. भारत की सबसे प्रदूषित नदी कौन सी है?
गंगा नदी, भले ही इसे साफ करने के कई प्रयास हुए हैं।
7. ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम क्या है?
गंगा नदी की सफाई और पुनर्जीवन के लिए केंद्र सरकार की प्रमुख योजना।
8. नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) क्या है?
122 शहरों में वायु प्रदूषण को 2024 तक 20–30% तक कम करने का लक्ष्य।
9. दिल्ली में सर्दियों में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
पराली जलाना, वाहनों से निकलने वाला धुआं, और औद्योगिक प्रदूषण।
10. भारत की राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार कितनी भूमि पर वन आवरण होना चाहिए?
33% भौगोलिक क्षेत्र पर।
🌱 संरक्षण और सतत विकास
11. सतत विकास (Sustainable Development) क्या है?
विकास जो वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करता है बिना भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को नुकसान पहुंचाए।
12. पेरिस जलवायु समझौते (2015) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
ग्लोबल वार्मिंग को 2°C से नीचे और 1.5°C तक सीमित रखना।
13. वनरोपण (Afforestation) क्या है? Environmental Issues
ऐसी जगहों पर पेड़ लगाना जहाँ पहले कोई वन आवरण नहीं था।
14. वनों की कटाई (Deforestation) क्या है?
शहरीकरण, कृषि और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए जंगलों को काटना।
15. मरुस्थलीकरण (Desertification) क्या है?
भूमि की उत्पादकता में गिरावट जिससे वह रेगिस्तान जैसी हो जाती है।
🌊 जल एवं कचरा प्रबंधन
16. जल प्रदूषण क्या है?
जब नदियाँ, झीलें आदि हानिकारक पदार्थों से दूषित हो जाती हैं।
17. भारत में जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत क्या हैं?
औद्योगिक अपशिष्ट, सीवेज, रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक।
18. स्वच्छ भारत अभियान क्या है?
सफाई, शौचालय निर्माण और कचरा प्रबंधन को बढ़ावा देने की योजना।
19. ई-वेस्ट (E-waste) क्या है?
पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, आदि जिनमें हानिकारक रसायन होते हैं।
20. शहरी कचरा प्रबंधन का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
3R सिद्धांत – कम करें, पुन: उपयोग करें, और पुनर्चक्रण करें। Environmental Issues
🐘 जैव विविधता एवं वन्यजीव संरक्षण
21. जैव विविधता क्या है?
पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवों – पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों – की विविधता।
22. प्रोजेक्ट टाइगर क्या है?
1973 में शुरू की गई योजना, जिसका उद्देश्य बाघों और उनके आवासों की रक्षा करना है।
23. भारत में वन्यजीवों की रक्षा के लिए कौन सा कानून है?
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 Environmental Issues
24. बायोस्फीयर रिजर्व क्या है?
ऐसा क्षेत्र जो जैव विविधता को संरक्षित करने, शोध को प्रोत्साहित करने और लोगों की आजीविका को बनाए रखने का कार्य करता है।
25. भारत के दो बायोस्फीयर रिजर्व का नाम बताइए।
- नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व
- नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व
📝 महत्वपूर्ण पर्यावरणीय शब्दावली
26. कार्बन फुटप्रिंट क्या है?
किसी व्यक्ति, संस्था या उत्पाद से निकलने वाली कुल ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा।
27. नवीकरणीय संसाधन क्या होते हैं?
सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे संसाधन जो पुनः उत्पन्न हो सकते हैं।
28. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का उद्देश्य क्या है?
ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना।
29. IPCC क्या है?
इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज, जो जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक मूल्यांकन करता है।
30. भारत ने पेरिस समझौते के तहत क्या लक्ष्य तय किए हैं?
2005 के स्तर से 33-35% उत्सर्जन तीव्रता में कमी और 40% बिजली उत्पादन गैर-जीवाश्म स्रोतों से।
निष्कर्ष : बदलाव की शुरुआत आपसे
पर्यावरण संरक्षण केवल नीतियों और योजनाओं का विषय नहीं है। यह हर घर, हर हाथ की जिम्मेदारी है। सोचिए, यदि हर व्यक्ति अपने स्तर पर कुछ आदतें बदल ले, तो बड़ा अंतर आ सकता है।
- बिजली और पानी की बर्बादी रोकें
- प्लास्टिक का कम उपयोग करें
- स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाएँ
- परिवहन में साझा साधनों का चयन करें
हमारे छोटे प्रयास ही हमारी धरती को फिर से स्वस्थ, हरा-भरा और खुशहाल बना सकते हैं। चलिए, मिलकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुन्दर और सुरक्षित दुनिया गढ़ते हैं!
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